मन काहें अकुताइल बा

भीतरे भीतर घवाहिल बा,बात समझ मे आइल बानेह वेह से सब दूर भइलमन काहें अकुताइल बा। चोरन के अब ज़ोर भइल,भीतरे भीतर शोर भइल,मुह गिरा...

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